
अमृतसर
शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल की एक बार फिर मुश्किलें बढ़ गई हैं। एक बार उन्हें फिर से तनखैया घोषित करार दिया गया है। इस बार यह फैसला तख्त श्री हरमंदिर जी, पटना साहिब के पंज प्यारे सिंह साहिबानों की एक विशेष बैठक में दिया गया। इस मीटिंग में सुखबीर सिंह बादल को वेतनभोगी घोषित किया गया।
अकाली दल अध्यक्ष पर यह कार्रवाई 21 मई, 2025 को जत्थेदार कुलदीप सिंह गर्गज और जत्थेदार टेक सिंह द्वारा तख्त श्री हरमंदिर जी पटना साहिब की मर्यादाओं और संविधान को दरकिनार करते हुए विवादित और राजनीति प्रेरित आदेश जारी करने पर की गई।
जानकारी के अनुसार, यह विवाद रणजीत सिंह गौहर-ए-मस्कीन की पुनर्बहाली के आदेशों के बाद शुरू हुआ था, जिस पर तख्त श्री पटना साहिब ने सुखबीर बादल से 20 दिनों के भीतर स्पष्टीकरण मांगा था। इस मामले को लेकर एसजीपीसी (शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी) का एक प्रतिनिधिमंडल भी पटना साहिब गया था।
बाद में एसजीपीसी अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने 15 दिन का और समय मांगा, लेकिन तय समय सीमा समाप्त होने के बावजूद सुखबीर बादल वहां उपस्थित नहीं हुए। इसके चलते अब पांच प्यारों ने उन्हें तनखैया करार देने का निर्णय सुनाया है।
तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब के फैसले के मुताबिक सुखबीर बादल ने सिद्धांतों, मर्यादाओं और पंज प्यारों के आदेशों का उल्लंघन किया। तख्त की प्रबंधक समिति के अधिकारों में दखल दिया। 9 और 10 मई 2023 को समिति की बैठकों में लिए गए निर्णयों को खुली चुनौती दी। पंज प्यारे सिंह साहिबों की जांच में स्पष्ट हुआ है कि इस साजिश में सुखबीर बादल की भी अहम भूमिका रही।
पंज प्यारों ने 21 मई और 1 जून को सुखबीर बादल को अपना पक्ष रखने के लिए मौके दिए, लेकिन दोनों दिन वे तख्त के समक्ष पेश नहीं हुए। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी के विशेष अनुरोध पर उन्हें 20 दिन का अतिरिक्त समय दिया गया, लेकिन तीसरे मौके पर भी तख्त के समक्ष उन्होंने अपना पक्ष नहीं रखा।
7 महीने पहले अकाल तख्त ने तनखैया घोषित किया था दिसंबर 2024 में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम को 9 साल पहले माफी देने समेत बेअदबी पर कार्रवाई न करने को लेकर श्री अकाल तख्त साहिब ने सुखबीर बादल को तनखैया घोषित किया था। उन्हें गोल्डन टेंपल के बाहर तख्ती पहनकर और हाथ में बरछा पकड़कर सेवादार की ड्यूटी करने के आदेश दिए गए थे। ये सजा उन्हें 2 दिन के लिए दी गई थी।
4 दिसंबर को सुखबीर बादल पर हुआ था हमला 4 दिसंबर को सुखबीर बादल गोल्डन टेंपल के गेट पर हाथ में बरछा पकड़कर सजा भुगत रहे थे। इसी दौरान उन पर डेरा बाबा नानक के रहने वाले नारायण सिंह चौड़ा ने फायरिंग कर दी थी। जिसमें सुखबीर बाल-बाल बच गए थे। नारायण सिंह चौड़ा भारत सरकार की ओर से बैन किए जा चुके खालिस्तानी आतंकी संगठन बब्बर खालसा से जुड़ा है।