बिहारराज्य

बिहार में वोटर लिस्ट विवाद के बीच राहत, अब बिना दस्तावेज भर सकेंगे गणना फॉर्म

पटना 
बिहार में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण को लेकर चल रहे विवाद के बीच निर्वाचन आयोग ने नियमों में महत्वपूर्ण छूट दी है. अब मतदाता बिना फोटो या दस्तावेज संलग्न किए फॉर्म को बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) को जमा कर सकते हैं. इसे लेकर आयोग ने आज प्रमुख समाचार पत्रों में विज्ञापन भी जारी किया है.
 
इसमें आगे कहा गया है,  'गणना प्रपत्र बीएलओ से प्राप्त होते ही तत्काल भरकर आवश्यक दस्तावेज तथा फोटो के साथ बीएलओ को उपलब्ध करा दें.  यदि आवश्यक दस्तावेज तथा फोटो उपलब्ध नहीं है तो सिर्फ गणना प्रपत्र भरकर बीएलओ को जमा कर दें.' आयोग ने ऑनलाइन फॉर्म भरने के लिए क्यूआर कोड दिया है.' इसके अलावा चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि 1 जनवरी 2003 के तारीख तक मतदाता सूची में दर्ज मतदाताओं को फॉर्म के साथ दस्तावेज देने की जरूरत नहीं है. 2003 की मतदाता सूची चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध है. यदि मतदाता के पास आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध है तो निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी को आवेदन को प्रोसेस करने में आसानी रहेगी. आयोग ने कहा है कि यदि मतदाता के पास आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध नहीं है तो निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी द्वारा स्थानीय जांच या अन्य दस्तावेज के साक्ष्य के आधार पर निर्णय लिया जा सकेगा.

चुनाव आयोग ने विज्ञापन में महत्वपूर्ण तारीख का भी जिक्र किया है जिसमें कहा गया है की गणना प्रपत्र भरने की अवधि 25 जून से 26 जुलाई है. मतदाता सूची का प्रारूप प्रकाशन 1 अगस्त 2025 को होगा. दावे और आपत्तियों की अवधि 1 अगस्त से 1 सितंबर 2025 है और अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन 30 सितंबर 2025 को किया जाएगा.

चुनाव आयुक्त का जवाब
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार जब एक निजी दौरे पर फिरोजाबाद में आए थे, जहां उन्होंने बिहार की मतदाता सूची तथा विपक्ष द्वारा चुनाव आयोग पर किए जा रहे सवाल पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उनसे सवाल किया गया कि विपक्ष बार-बार चुनाव आयोग पर सवालिया निशान लगा रहा है और कह रहा है कि उनकी  शिकायतों का कोई निस्तारण या निर्णय नहीं हो रहा है? 

इस पर जवाब देते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, 'चुनाव आयोग का संवाद लगातार होता रहता है इसलिए पिछले 4 महीने में हर असेंबली, विधानसभा, हर जिले में पार्टी मीटिंग कराई गई और हर राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी के यहां भी…कुल मिलाकर लगभग 5 हजार ऐसी मीटिंग हुई जिसमें 28 हजार लोगों और राजनीतिक दल के नेताओं ने भाग लिया है. यही नहीं चुनाव आयोग स्वयं सभी नेशनल पार्टी और स्टेट पार्टी से मिल रहा है. पांच नेशनल पार्टी से मुलाकात हो चुकी है और चार से अधिक स्टेट पार्टी भी आयोग से मिल रही है. अगर कोई विषय आता है, तो कई बार जो पार्टी डेलिगेट्स भी आते हैं और चुनाव आयोग उनसे भी मिलता है. चुनाव आयोग का राजनीतिक दलों से लगातार संवाद बना रहता है.'

वोटर लिस्ट पर कही ये बात
वोटर लिस्ट को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, 'चुनाव आयोग के जो आदेश होते हैं अगर उनको पढ़ने के बाद चर्चा की जाए तो कई सारे विषयों का समाधान उसी में ही निहित है. जैसे कि बिहार में 22 साल पहले यानि 2003 की जो मतदाता सूची है, उसमें प्राथमिक दृष्टि से संविधान के अनुच्छेद 326 के अंतर्गत पात्र माना जाएगा. अर्थात जिन लोगों का नाम और सूची में है उनका कोई कागज नहीं देना और उनके बच्चों के मतदाता पात्र बनते हैं तो उनको भी अपने भी माता-पिता के लिए कोई कागज नहीं देना है. जहां तक समय परिधि की बात है जब 2002 में मतदाता सूची बिहार में गहन परीक्षण हुआ था तब भी 15 जुलाई से 14 अगस्त 31 दिन में हुआ था. इस बार भी 24 जून से लेकर 25 जुलाई तक 31 दिन के अंदर ही हो रहा है.'

चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि 1 जनवरी 2003 के तारीख तक मतदाता सूची में दर्ज मतदाताओं को फॉर्म के साथ दस्तावेज देने की जरूरत नहीं है. 2003 की मतदाता सूची चुनाव आयोग के वेबसाइट पर उपलब्ध है. यदि मतदाता के पास आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध है तो निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी को आवेदन को प्रोसेस करने में आसानी रहेगी. यदि मतदाता के पास आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध नहीं है तो निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी द्वारा स्थानीय जांच या अन्य दस्तावेज के साक्ष्य के आधार पर निर्णय लिया जा सकेगा. चुनाव आयोग द्वारा वृद्ध, दिव्यांग और अन्य विशेष मतदाताओं के लिए वालंटियर की सुविधा होगी

चुनाव आयोग ने विज्ञापन में महत्वपूर्ण तारीख का भी जिक्र किया है जिसमें कहा गया है की गणना प्रपत्र भरने की अवधि 25 जून से 26 जुलाई है. मतदाता सूची का प्रारूप प्रकाशन 1 अगस्त 2025 को होगा. दावे और आपत्तियों की अवधि 1 अगस्त से 1 सितंबर 2025 है. अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन 30 सितंबर 2025 को किया जाएगा

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