सावन में रुद्राक्ष धारण: कब, कैसे और क्यों? जानें सभी जरूरी नियम

रुद्राक्ष को भगवान शिव का आर्शीवाद माना जाता है. रुद्राक्ष केवल एक आभूषण नहीं है, बल्कि इसे शिव कृपा और आध्यात्मिक यात्रा का पवित्र उपकरण कहा जाता है. इसे पहनने के लिए इन दिशानिर्देशों का पालन करके, आप रुद्राक्ष की आध्यात्मिक शक्ति को बढ़ा सकते हैं, अपने जीवन में संतुलन, शांति और दिव्य ऊर्जा ला सकते हैं.
रुद्राक्ष की प्रकृति को गर्म माना जाता है. यही कारण है कि कुछ लोग इसे धारण नहीं कर पाते. ऐसी स्तिथि में इसे आप अपने पूजा कक्ष में रख सकते हैं और इसकी माला से जाप भी कर सकते हैं. अगर आप इसे पहली बार धारण करने जा रहे हैं तो इन बातों का ध्यान जरुर रखिए.
रुद्राक्ष पहनने से पहले की तैयारी
रुद्राक्ष पहनने से पहले उसे 24 घंटे के लिए घी में भिगोकर रखें.
घी के बाद रुद्राक्ष को गाय के दूध में भिगोकर रखें.
रुद्राक्ष को गंगाजल से धोकर उन्हें बाद में एक साफ कपड़े से पोंछें.
इसे पिरोने के लिए कपास या रेशम के धागे का उपयोग करें.
आप सोने, चांदी के तारों का भी उपयोग कर सकते हैं.
अब रुद्राक्ष को हाथ में लेकर शिव मंत्रों के 108 बार जाप से इसे चार्ज करें.
रुद्राक्ष की संख्या
आप रुद्राक्ष की 108 बीड्स और एक गुरु मनके की माला पहन सकते हैं.
या आप इसे 27 या 54 की संख्या में पहन सकते हैं.
रुद्राक्ष को पहनने का समय
रुद्राक्ष पहनने का सबसे अच्छा समय सुबह ब्रह्म मुहूर्त में होता है.
इसे किसी शुभ दिन, सोमवार या गुरुवार को पहनें.
रुद्राक्ष पहनने के लिए नियम
रुद्राक्ष का सम्मान करें.
इसे टॉयलेट जाने से पहले उतारकर जाएं.
इसे सोने से पहले निकालें सकते हैं.
रुद्राक्ष मंत्र और रुद्राक्ष मूल मंत्र को हर सुबह नौ बार पहने हुए और रात में हटाने से पहले जप करें.
इसे पहनने के बाद गैर-शाकाहारी भोजन खाने और शराब का सेवन करने से बचें.
रुद्राक्ष को दाह अंतिम संस्कार, या सूतक-पातक में नहीं पहना जाता.