राजनीतिक

लोकसभा में गर्मा-गर्मी: स्पीकर बिरला ने कांग्रेस सांसद से पूछा – नई पीढ़ी को यही सिखाते हो?

नई दिल्ली

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने गुरुवार को सदन में हंगामा करने के लिए कांग्रेस सदस्यों को आड़े-हाथों लिया और कहा कि देश की सबसे पुरानी पार्टी के संस्कार सदन में नारेबाजी करने, तख्तियां लाने और मेजें ठोंकने के लिए नहीं रहे हैं, लेकिन इस दल के मौजूदा सांसदों का आचरण पूरा देश देख रहा है। कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के सदस्यों ने सदन की कार्यवाही आरंभ होते ही बिहार में जारी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के विषय पर हंगामा किया जिससे कार्यवाही बाधित हुई।

बिरला ने कहा, 'आपसे पहले भी कहा गया है कि प्रश्नकाल महत्वपूर्ण समय होता है। इसमें जनता के महत्वपूर्ण सवाल होते हैं और सरकार की जवाबदेही होती है…कई सांसदों ने कहा कि उनका प्रश्नकाल के दौरान मुश्किल से प्रश्न आता है, लेकिन आप लोगों का जिस तरह का व्यवहार होता है, वो संसद की गरिमा के अनुकूल नहीं है।'

उन्होंने कांग्रेस का नाम लिए बगैर कहा, 'आप लोग इतने पुराने राजनीतिक दल के संसद सदस्य हो, जिसका इस सदन के अंदर गरिमा और मर्यादा का बहुत बड़ा योगदान रहा है। लेकिन लोग देखेंगे कि आप किस तरह से सदन में व्यवहार करते हैं, तख्तियां लेकर आते हैं और मेजें ठोकते हैं।' लोकसभा अध्यक्ष ने विपक्षी सदस्यों का आह्वान किया कि वे संसद की गरिमा और मर्यादा को बनाए रखें।

उनका कहना था, 'यह दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। लोकतंत्र के अंदर हमारी पारदर्शिता और जवाबदेही को दुनिया जानती है। आप इस तरह का आचरण करेंगे तो इसका लोकतांत्रिक संस्थाओं में क्या संदेश जाएगा।'

बिरला ने कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल से कहा, 'वेणुगोपाल जी, क्या आप अपने सांसदों को यही सिखाते हो। नारेबाजी करना, तख्तियां लाना, मेज थपथपाना आपकी पार्टी के संस्कार नहीं रहे हैं, लेकिन नई पीढ़ी जिस तरह का संस्कार पेश कर रही है वो पूरा देश देख रहा है।' उन्होंने कहा, 'आप लोग माननीय हैं, लाखों लोगों ने आपको चुनकर भेजा है…तख्तियां लेकर मेजें तोड़ने के लिए नहीं भेजा है।'

बिरला ने इस बात पर जोर दिया कि तख्तियां लेकर आने पर सदन नहीं चलेगा। लोकसभा अध्यक्ष ने इस बात का उल्लेख किया कि संसद पर जनता के करोड़ों रुपये खर्च होते हैं। उन्होंने कहा कि प्रश्नकाल के बाद नियमों के तहत हर मुद्दे पर चर्चा का अवसर दिया जाएगा। हंगामा नहीं थमने पर उन्होंने कार्यवाही अपराह्न दो बजे तक स्थगित कर दी। इससे पहले 21 जुलाई से शुरू हुए मॉनसून सत्र के पहले तीन दिन भी सदन में विपक्ष के हंगामे के कारण कामकाज बाधित रहा।

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