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IRCTC को FY25 में मिली 6,645 खाने की शिकायतें, 1,341 मामलों में लगा जुर्माना

नई दिल्ली
भारतीय रेल (Indian Railways) की ट्रेनें तो अक्सर देरी से चलती ही है। साथ ही इसमें मिलने वाले पेंट्री कार (Pantry Car) के भोजन की भी खूब शिकायतें मिलती रहती हैं। अब पिछले साल मतलब कि साल 2024-25 को ही लीजिए। इस दौरान रेल प्रशासन को खाने-पीने की वस्तुओं की खराब क्वालिटी को लेकर 6,645 शिकायतें मिलीं। यह जानकारी रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्यसभा में पिछले दिनों दी।

जुर्माना कितने मामलों में!
रेल मंत्री ने राज्य सभा में एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि साल 2024-25 के दौरान जहां 6,645 शिकायतें मिलीं। इसी साल 1,341 मामलों में भोजन की सप्लाई करने वालों पर जुर्माना भी लगाया गया। उन्होंने बताया कि साल 2023-24 में 7,026 शिकायतें मिली थीं जबकि 2022-23 में 4,421 शिकायतें आई थीं। वहीं, साल 2021-22 में खाने की खराब क्वालिटी की 1,082 शिकायतें दर्ज की गई थीं।

शिकायतों पर क्या हुई कार्रवाई?
CPI(M) के एमपी जॉन ब्रिटास ने ट्रेनों में खाने की क्वालिटी और कंपनियों को ठेके देने में पारदर्शिता से जुड़ा सवाल पूछा था। इस पर रेल मंत्री ने बताया कि कुल शिकायतों में से 2,995 मामलों में कैटरिंग ठेकेदार को चेतावनी दी गई। 547 मामलों में उन्हें उचित सलाह दी गई और बाकी बचे 762 मामलों में दूसरे कदम उठाए गए।

अनहाइजेनिक तरीके से तैयार भोजन को जब्त किया गया?
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सांसद ने पूछा था कि क्या रेलवे कैटरिंग ठेकेदारों से अनहाइजेनिक तरीके से तैयार भोजन को जब्त किया गया है? इस पर वैष्णव ने बताया "अगर खाने में मिलावट या अस्वच्छता पाई जाती है या यात्री शिकायत करते हैं, तो तुरंत कार्रवाई की जाती है। इसमें जुर्माना लगाना, अनुशासनात्मक कार्रवाई करना, काउंसलिंग करना और चेतावनी देना शामिल है।"

कई लंबी दूरी की ट्रेनों के ठेके एक ही ठेकेदार को?
ब्रिटास ने यह भी पूछा कि क्या IRCTC (इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन) ने कई रेलवे रूटों पर, जिसमें वंदे भारत और दूसरी लंबी दूरी की ट्रेनें शामिल हैं, एक ही कंपनी समूह को अलग-अलग नामों से ठेके दिए हैं? इसके जवाब में मंत्री ने बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी IRCTC ट्रेनों में खानपान सेवाएं देने के लिए समय-समय पर टेंडर निकालती है। इसी क्रम में वंदे भारत और लंबी दूरी की दूसरी ट्रेनों के लिए भी टेंडर निकाले जाते हैं। उन्होंने बताया कि टेंडर एक पारदर्शी प्रक्रिया के तहत दिए जाते हैं। जो कंपनी या ठेकेदार सबसे ऊंची बोली लगाता है, उसे ही टेंडर मिलता है। यह सब टेंडर के नियमों और शर्तों के अनुसार ही होता है।

भोजन की सप्लाई पर पूरी नजर
रेल मंत्री का कहना है कि रेल प्रशासन भोजन की क्वालिटी को बनाए रखने के लिए कई कदम उठाता है। उन्होंने बताया कि चलती रेलगाड़ी में भोजन नहीं बनाया जाता है बल्कि उसे बेस किचन में तैयार कर ट्रेन में सप्लाई किया जाता है। इस समय ठेकेदारों के बेस किचन आधुनिक बनाए जा रहे हैं। क्वालिटी पर नजर रखने के लिए बेस किचन में CCTV कैमरे लगाए गए हैं। भोजन तैयार करने के दौरान भी अच्छी क्वालिटी की चीजें इस्तेमाल की जाती हैं। इस दौरान फूड सेफ्टी सुपरवाइजर वहां साफ-सफाई का ध्यान तो रखते ही हैं, वे भोजन पकाने की प्रक्रिया पर भी नजर रखते हैं।

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