
चंडीगढ़
पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार ने इस बार फिर से सख्त रुख अपनाया है। इस बार सरकार ने गांवों को पराली जलाने की पुरानी घटनाओं के आधार पर तीन श्रेणियों में बांटकर एक विशेष रणनीति तैयार की है। सभी जिलों को निर्देश दिए गए हैं कि वे 1 अगस्त तक गांवों की पहचान, जोखिम का आकलन और कार्रवाई की योजना पूरी कर लें। सरकार ने इस बार जुर्माने की राशी को भी बढ़ाया है। दो एकड़ से कम भूमि पर पराली जलाने पर 5,000 रुपये, दो से पांच एकड़ पर 10,000 और पांच एकड़ से अधिक पर 30,000 रुपये का जुर्माना तय किया गया है। बार-बार नियम तोड़ने वालों या जुर्माना न भरने वालों पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
नई एसओपी जारी
पंजाब के स्पेशल डीजीपी (कानून एवं व्यवस्था) द्वारा जारी दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि जिन गांवों में 30 से अधिक पराली जलाने की घटनाएं हुई हैं, उन्हें 'अत्यधिक जोखिम' की श्रेणी में रखा जाएगा। 10 से 30 घटनाओं वाले गांवों को 'मध्यम जोखिम' और 1 से 10 घटनाओं वाले गांवों को 'कम जोखिम' श्रेणी में गिना जाएगा। इसके आधार पर गांवों में अलग-अलग प्रकार के जागरूकता अभियान, निगरानी और प्रवर्तन की रणनीति अपनाई जाएगी। नई एसओपी के अनुसार, किसी भी पराली जलाने की घटना की जानकारी मिलने के बाद 48 घंटे के भीतर फील्ड जांच की जाएगी। सात कार्य दिवसों के भीतर चालान जारी किया जाएगा और पंद्रह दिनों के भीतर जुर्माने की वसूली सुनिश्चित की जाएगी।
साथ मिलकर काम करने को कहा
राजस्व, कृषि और पर्यावरण विभागों को मिलकर काम करने को कहा गया है। राजस्व विभाग स्थल निरीक्षण, चालान और वसूली की जिम्मेदारी निभाएगा। कृषि विभाग किसानों को जागरूक करेगा और पराली के प्रबंधन के वैकल्पिक उपायों को बढ़ावा देगा। वहीं, पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PPCB) निगरानी और रिपोर्टिंग की भूमिका में रहेगा। PPCB के फील्ड स्टाफ को सैटेलाइट डेटा पढ़ने, चालान प्रणाली अपनाने और जांच प्रक्रिया के लिए प्रशिक्षण दिया गया है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) की 3 जुलाई को हुई बैठक में ‘शून्य सहनशीलता’ की नीति को दोहराया गया। आयोग के चेयरपर्सन ने कहा कि गांव स्तर पर निगरानी, रीयल-टाइम डैशबोर्ड और तकनीक आधारित रणनीति से पराली जलाने की घटनाओं को रोकने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।