विदेश

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के खिलाफ धार्मिक उत्पीड़न का दौर जारी, भयावह स्थिति को ब्रिटेन की संसद सत्र में उजागर किया

लंदन 

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के खिलाफ धार्मिक उत्पीड़न का दौर जारी है। इस भयावह स्थिति को ब्रिटेन की संसद में आयोजित एक सत्र में उजागर किया गया। ऑल पार्टी पार्लियामेंट्री ग्रुप ऑन फ्रीडम ऑफ रिलीजन ऑर बिलीफ की ओर से यह सेशन बुलाया गया था। इसमें सांसदों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और समुदाय के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस दौरान हिंदुओं, ईसाइयों, शियाओं और अहमदियों के खिलाफ अत्याचारों को व्यवस्थित और राज्य प्रायोजित बताया गया। सबूतों से पता चला कि ये घटनाएं अलग-थलग नहीं, बल्कि पाकिस्तानी राज्य और सैन्य तंत्र के समर्थन से सुनियोजित रणनीति का हिस्सा हैं।

सिंध प्रांत में हिंदू और ईसाई समुदायों की नाबालिग लड़कियों का अपहरण और जबरन धर्म परिवर्तन हो रहा है। इस गंभीर समस्या पर सत्र में विशेष रूप से प्रकाश डाला गया। अनुमान है कि हर साल 500 से 1,000 लड़कियों का अपहरण किया जाता है। ये अक्सर राजनीतिक रूप से प्रभावशाली मौलवियों की ओर से संचालित धार्मिक स्थलों के जरिए तस्करी की जाती हैं। इसके अलावा, हिंदू मंदिरों और धर्मशालाओं पर हमले सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को मिटाने की कोशिश का हिस्सा हैं। साल 2023 में कश्मीर में एक मंदिर पर रॉकेट हमला इसका उदाहरण है।

पाकिस्तान को जवाबदेह ठहराने की मांग

शिया और अहमदी समुदायों के खिलाफ जबरन गायब करने, सांप्रदायिक हिंसा और धार्मिक अधिकारों से वंचित करने की घटनाएं भी सामने आईं। सत्र में सिंध फ्रीडम मूवमेंट के अध्यक्ष सोहैल अबरो और दूसरे समुदायों के प्रतिनिधियों ने आवाज उठाई। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से पाकिस्तान को जवाबदेह ठहराने की मांग की। इसके अलावा, ब्रिटिश सांसदों फ्लेर एंडरसन और डेविड स्मिथ ने विस्तृत आंकड़े और प्रत्यक्षदर्शी डिटेल पेश किए। सत्र के अंत में अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इन अत्याचारों की स्वतंत्र जांच, जबरन धर्म परिवर्तन और धार्मिक संस्थानों पर हमलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की गई। साथ ही, इसके लिए जिम्मेदार व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगाने की भी चर्चा हुई।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button