उत्तराखंड के माध्यमिक स्कूलों में छात्र-छात्राओं को पढ़ाई जाएगी गीता

देहरादून
स्कूलों में भागवत गीता पढ़ाए जाने को लेकर सीएम धामी का बड़ा बयान आया है. सीएम धामी ने कहा, ‘हमने शिक्षा विभाग की समीक्षा मीटिंग में तय किया था, उस पर अब काम शुरू हो गया है.’ सीएम ने कहा कि भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण का अर्जुन को दिया गया ज्ञान हमारे बच्चों में अच्छे संस्कार पैदा करेगा. सीएम ने कहा कि इससे बच्चे न्यायशील बनेगे और जीवन में आगे बढ़ेंगे. प्रदेश के सरकारी स्कूलों की प्रार्थना सभा में श्रीमद् भागवत गीता के श्लोक पढ़ाए जाने के फैसले को लेकर अब राजनीति भी शुरू हो गई है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन महारा ने कहा कि किसी भी अच्छी चीज का स्वागत होना चाहिए. लेकिन सिर्फ श्रीमद् भागवत गीता को ही क्यों शामिल किया जाए. एक धर्म विशेष से जुड़े साहित्य को पढ़ाना सिर्फ वोटों की राजनीति लगती है.
हर रोज सुनाना होगा एक श्लोक
उत्तराखंड में एक आधिकारिक आदेश में कहा गया है कि राज्य के सरकारी स्कूलों की प्रार्थना सभा में विद्यार्थियों को श्रीमद् भगवद्गीता का एक श्लोक अर्थ सहित प्रतिदिन सुनाया जाए ताकि आधुनिक शिक्षा के साथ ही भारतीय ज्ञान परंपरा से छात्रों को अवगत कराकर उन्हें एक श्रेष्ठ नागरिक बनाया जा सके. उत्तराखंड माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती द्वारा मुख्य शिक्षा अधिकारियों को इस संबंध में जारी एक आदेश में कहा गया है कि प्रार्थना सभा में सुनाए जाने वाले इस श्लोक के वैज्ञानिक दृष्टिकोण की जानकारी भी छात्रों को दी जाएगी.
शिक्षकों को सप्ताह का श्लोक घोषित करना होगा
इसके अलावा, शिक्षकों को प्रत्येक सप्ताह गीता के एक श्लोक को ‘सप्ताह का श्लोक’ घोषित कर उसे सूचना पटट पर अर्थ सहित लिखे जाने को कहा गया है जिसका छात्र अभ्यास करेंगे और सप्ताह के अंत में उस पर चर्चा कर उसका ‘फीडबैक’ लिया जाएगा . आदेश में शिक्षकों को समय-समय पर श्लोकों की व्याख्या करने तथा छात्रों को इस बात की जानकारी देने को कहा गया है कि श्रीमद् भगवद्गीता के सिद्धांत किस प्रकार मानवीय मूल्य, व्यवहार, नेतृत्व कौशल, निर्णय क्षमता, भावनात्मक संतुलन और वैज्ञानिक सोच विकसित करते हैं.
केवल विषय के तौर पर ना पढ़ाया जाए
छात्रों को यह भी बताया जाएगा कि गीता के उपदेश मनोविज्ञान, तर्कशास्त्र, व्यवहार विज्ञान एवं नैतिक दर्शन पर आधारित हैं जो धर्मनिरपेक्ष द्रष्टिकोण से संपूर्ण मानवता के लिए उपयोगी हैं. आदेश में कहा गया है कि विद्यालय स्तर पर यह सुनिश्चित किया जाए कि छात्रों को ये श्लोक केवल विषय या पठन सामग्री के रूप में नहीं पढ़ाए जाएं बल्कि ये उनके जीवन एवं व्यवहार में भी परिलक्षित हों. सती ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत विद्यार्थियों को विभिन्न विषयों के साथ-साथ भारतीय ज्ञान परंपरा का आधार एवं ज्ञान प्रणाली का अध्ययन कराया जाना है। इससे पहले उत्तराखंड में राज्य पाठ्यचर्या को लेकर छह मई को आयोजित एक बैठक में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने श्रीमद् भगवद्गीता और रामायण को भी इसमें शामिल करने के निर्देश दिए थे.