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कुरुक्षेत्र पहुंचा दुनिया का सबसे महंगा आम, कीमत- ₹70 हजार/Kg, जापानी प्रजाति का

कुरुक्षेत्र 
 हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले में फ्रूट फेस्टिवल की शुरुआत हो चुकी है, जिसमें करीब 27 से ज्यादा वैरायटी आम की पेश की गई है. इसके अलावा, देसी और विदेशी फलों की करीब 200 से भी ज्यादा वैराइटीज को शामिल किया गया है. भारत के मल्लिका, दशहरी, लंगड़ा, तोतापरी, रामकेला, दूध पेड़ा, रटौल के अलावा जापान के मियाजाकी आम की वैरायटी को भी शामिल किया गया है.

बना आकर्षण का केंद्र

जापान के इस आम की वैरायटी हिंदुस्तान में ₹50,000 से ₹70,000 प्रति किलो बिकती है, वहीं विदेशों में इसकी कीमत 2.5 से 3 लाख रुपए तक पहुंच जाती है. यह “एग ऑफ द सन” के नाम से भी मशहूर है और दुनिया के सबसे महंगे आमों में गिना जाता है. स्वास्थ्य की दृष्टि से भी इसे बेहद लाभकारी माना जाता है.

यह कैंसर की कोशिकाओं की ग्रोथ को रोकने में असरदार है और इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में काम करता है. लाडवा स्थित इंडो-इजराइल सब ट्रॉपिकल सेंटर में इसका पौधा लगाया गया है और इस पर रिसर्च भी की जा रही है. फिलहाल इस पौधे पर आम आने लगे हैं.

आम की खेती और विशेषताएं

इंडो- इजराइल सबट्रॉपिकल सेंटर, लाडवा में चल रहे फूड फेस्टिवल में विभिन्न जगहों से लोग पहुंचे हैं. इस दौरान यूपी के मुजफ्फरनगर से किसान मोहम्मद साजिद भी मियाजाकी आम लेकर पहुंचे. उन्होंने बताया कि यह जापान के मियाजाकी प्रांत का फल है, जिसे भारत में भी अब उगाया जा रहा है. इसकी पौध की ऊंचाई केवल 4 फुट तक होती है और फल आने में लगभग 5 साल लगते हैं.

लाडवा में हो रही रिसर्च और खेती

मियाजाकी आम को भविष्य का फल मानते हुए, लाडवा के इंडो-इजराइल सब ट्रॉपिकल सेंटर में भी इसका पौधा लगाया गया है और इस पर रिसर्च चल रही है। वर्तमान में इस पौधे पर आम भी लगे हुए हैं, जिनकी खास देखभाल की जा रही है। लगभग एक साल पहले मैंगो ग्रोवर एसोसिएशन ने यह पौधा सेंटर को गिफ़्ट किया था, यहां इसकी सिंचाई टपका विधि से की जाती है और इसमें जून-जुलाई में फल आने लगते हैं। 

5 साल में तैयार होता है पौधा, 4 फुट की हाइट

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से इस आम को लेकर आए किसान मोहम्मद साजिद ने बताया कि यह आम जापान के मियाजाकी प्रांत का है। भारत में इसे मियाजाकी के नाम से जाना जाता है, इसका पेड़ सिर्फ़ 4 फुट का होता है, लेकिन इस पर फल आने में करीब 5 साल का समय लगता है। यह आम लाल रंग का होता है और एक आम का वजन 300 से 350 ग्राम तक होता है। इसका स्वाद उत्तर भारत के लोकप्रिय रटौल आम जैसा ही लगता है। 

स्वाद और सेहत से भरपूर

यह आम लाल रंग का होता है और एक फल का वजन 300 से 350 ग्राम तक होता है. जिला उद्यान अधिकारी डॉ. शिवेंद्र प्रताप के अनुसार, यह आम स्वादिष्ट होने के साथ- साथ स्वास्थ्यवर्धक भी है. इसमें एंटीऑक्सीडेंट, बीटा-कैरोटीन और फोलिक एसिड प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. कैंसर की कोशिकाओं को रोकने में यह बेहद सहायक है. इसका स्वाद उत्तर भारत के लोकप्रिय रटौल आम जैसा होता है.

ऑस्ट्रेलिया, दुबई और इंग्लैंड जैसे देशों में इस आम की भारी मांग है. उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में इसकी बागवानी की जा रही है. यह आम विदेशों से भारत में निर्यात भी किया जा रहा है. कीमत अधिक होने की वजह से इसकी सुरक्षा भी विशेष रूप से की जाती है.

बढ़ती अंतरराष्ट्रीय और घरेलू मांग

मियाजाकी आम की ऑस्ट्रेलिया, दुबई और इंग्लैंड जैसे देशों में काफ़ी डिमांड है। अब इसकी बागवानी यूपी के साथ-साथ पंजाब और हरियाणा में भी की जा रही है। भारत से इसे विदेशों में एक्सपोर्ट भी किया जा रहा है। चंडीगढ़ में भी कई लोग इस आम के शौकीन हैं और उन्होंने अपने घरों या बागों में इसके पौधे लगाए हुए हैं, महंगा होने की वजह से इनकी सुरक्षा भी की जाती है।

सबसे बड़ा और सबसे छोटा आम भी है यहां

फ्रूट फेस्टिवल में थाई मैंगो (बॉम्बे ग्रीन) की वैरायटी भी है जिसका आकार सबसे बड़ा है और इसका वजन 1 किलो से ज्यादा होता है। आम की सबसे छोटी किस्म भी यहां देखने को मिली, जिसे मैंगो ग्रेप्स या देसी सीवर भी कहा जाता है। इसका साइज 2 से ढाई इंच तक का होता है। यह दोनों वैरायटी साउथ इंडियन हैं।

नाशपाती और अनार की खास किस्में

फेस्टिवल में पंजाब से नाशपाती की 7 तरह की वैरायटी लाई गई हैं, जिनमें निजी-सेकी नाशपाती बेहद खास है, क्योंकि यह शुगर-फ्री है। अन्य वैरायटी में पंजाब गोल्ड, लिकेंट, बब्बू-कोसा, पंजाब नख, पंजाब नेक्टर और पंजाब ब्यूटी शामिल हैं, जिनका रंग, रूप और स्वाद अलग-अलग है। अनार की भी 3 खास किस्में हैं जिनके दाने सफेद मोती जैसे होते हैं- वंडरफुल (शुगर-फ्री), गणेश-137 और सुपर भगवा। इसके अलावा, लाल दाने वाली भगवा और मृदुला वैरायटी भी हैं। भगवा अनार की खासियत है कि यह जितना छोटा होता है, उतना ही मीठा होता है। यह फ्रूट फेस्टिवल बागवानों और फल प्रेमियों के लिए एक बेहतरीन अवसर है, जहां वे फलों की विविधताओं को देख और समझ सकते हैं। 

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